
रायपुर। शिव महापुराण कथा के चौथे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथाकार पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया कि भक्तों को अपने खुद के घर से एक लोटा जल लेकर जाना चाहिए दूसरे की चीज को लेकर चढ़ा देने से उसका प्रतिफल भक्तों को नहीं मिल पाता जैसे राजा अज की परीक्षा लेने के लिए भगवान शंकर और माता पार्वती परीक्षा लेने पहुंचे ब्राह्मण ब्राह्मणी का रूप धारण करके राजा के पास गए और दान देने के लिए कहा राजा ने अपने राज्य से स्वर्ण आभूषण लाकर दान दिए लेकिन ब्राह्मण ने ठुकरा दिया। उन्होंने कहा अपनी मेहनत का दो। राजा रात्रि कालीन कार्य करने गया और रात में कार्य करके अपनी मेहनत का एक आना उस ब्राह्मण के घर जाकर दिया। उस ब्राह्मण ने राजा के एक आना को फेंक दिया वहां से 10 प्रकार के रथ निकले जिसमें से दसवे रथ में राजा अज को एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिनका नाम दशरथ पड़ा। इसलिए भगवान भोलेनाथ में जो भी अर्पित कर रहे हैं वह अपने खुद की मेहनत का और खुद के घर का होना चाहिए।
कुपोषण से आहार और संस्कार दोनों खराब होता है
आचार्य श्री ने कथा के अंतिम समय भक्तों को कहा कि समाज को मजबूत बनाने के लिए अपने धर्म को मजबूत बनाने के लिए संस्कारों का पोषण होना चाहिए। जिस तरह आहार पूरी तरह से नहीं मिलने से शरीर में कुपोषण होगा उसी तरह संस्कार बच्चों को न मिलने से जीवन में कुपोषण होगा। संस्कारों में कुपोषण होगा इसलिए बच्चों में संस्कार दीजिए। बच्चों को भागवत कथा शिव पुराण और अन्य धर्म कृत कार्य में भेजिए निश्चित ही संस्कारों का बीज उनके जीवन में होगा।
रायपुर में आयोजित श्री शिव महापुराण के कथा के आयोजन पर और व्यवस्था को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय कथाकार पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने मंच से आयोजन परिवार और आयोजन समिति को बहुत-बहुत बधाई दी कि इतनी बेहतर और सुंदर व्यवस्था रायपुर में पहली बार देखने को मिला जहां पूरे कथा स्थल के मैदान में एक भी दुकान नहीं है कथा स्थल के मैदान पर केवल भक्तों को भाव से सुंदर कथा सुनने का मौका आयोजन समिति और आयोजक परिवार ने दिया इसके लिए महाराज श्री ने बधाई दी।
लाखों भक्त ले रहे भंडारे का प्रसाद
आयोजन समिति के द्वारा रोज भंडारे की व्यवस्था की गई है रोज लाखों भक्त भंडारे में जाकर प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं भंडारे के संबंध में जानकारी देते हुए भोजन शाला प्रभारी भिखम देवांगन ने बताया कि रोज सवा लाख भक्ति भंडारे का प्रसाद ले रहे हैं भोजन शाला में लगभग 100 कार्यकर्ताओं की टीम लगी हुई है जो सुबह से लेकर रात तक भोजन बनाने भोजन पर उसने का काम कर रहे हैं रोज लगभग 60 क्विंटल चावल, 3 क्विंटल दाल, 10 क्विंटल सब्जी के साथ ही पूरी व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालन किया जा रहा है और सभी भक्तों को प्रसाद दिया जा रहा है।
संतो के दर्शन से होता है जीवन का उद्धार
पंडित प्रदीप मिश्रा ने आगे बताया कि एक बार गुरु नानक देव जी कहीं जा रहे थे तो सामने एक बहुत बड़ा बंगला देखा और वहीं पर एक माताजी की छोटी झोपड़ी। गुरु नानक देव जी ने बाले से बुढी माता जी की झोपड़ी में रूकने के लिए पूछने भेजा माताजी ने रूकने के लिए बोल दिया। दूसरे दिन वहां से आगे बढ़े तब बाले ने गुरु नानक देव जी से पूछा कि हमने इस बुढिया माता को कुछ दिया नहीं तब गुरु नानक देव जी ने कहा कि हमने भगवान नाम का जप वहां दिया हमने अपनी हंसी वहां प्रदान की और आगे बढ़ गए। जब 1 वर्ष बाद वापस आए तो फिर उसी स्थान पर गुरु नानक देव जीने फिर से बाले को बोला कि जाओ हमारे रुकने की व्यवस्था है कि नहीं माताजी से पूछो पुनः बाले वहां पर गया और वहां पर चार मंजिल का मकान बन गया था बुढी माता जी से बाले ने पूछा कि यह सब कैसे हो गया तब उस माताजी ने कहा कि कुछ समय पहले एक तपस्वी गुरुदेव आए थे और रात रुक कर वहां से चले गए थे उनके चरण की मिट्टी उठाती थी वह सोना बन जाता था और उन्हीं की कृपा से मेरा घर महल बन गया इसलिए साधु और संतों का हमेशा सम्मान भक्तों को करना चाहिए जहां कहीं भी गुरु उन्हें मिले तो उनका प्रणाम करने उनके दर्शन करने की जरूर जाना चाहिए ।
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